एयर मार्शल महेंद्र सिंह बुटोला, आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल सर्विस
मेरी बहुत इच्छा थी कि मैं इस रैबार सम्मेलन में आऊं। मैं भी इसी उत्तराखंड और चमोली जिले में पढ़ा हूं। मेरी स्कूलिंग चमोली में हुई है। उस समय से आज के समय यहां पर बहुत अलग चुनौतियां हैं। जो हम देख रहे हैं और उसके लिए हमको कुछ करना है। हमें गांवों से हो रहे पलायन को रोकना है। गांवों में मेडिकल की समस्या है, इलाज में दिक्कतें आती हैं। मगर हमारे जो समाधान हैं, वह प्रैक्टिकल होने चाहिए। हमारे युवा यहां से छोड़कर जा रहे हैं उनका मुख्य मुद्दा यह है कि बच्चों की पढ़ाई ठीक नहीं हो रही है। हमको उसके लिए एक अच्छा समाधान खोजना होगा। मैं काफी दिन से सोच रहा हूं, संभवतः मैं अपने रिटायरमेंट के बाद इस दिशा में बढ़ूंगा।
हर जगह कुछ हॉस्टल बनाए जाएं, जहां कुछ अच्छे बच्चों को चयनित करके 8वीं से 12वीं तक अच्छी कोचिंग दी जाए। स्कूल का स्टैंडर्ड बढ़ाया जाए। पढ़ाई का स्तर बढ़ाया जाए। आज केवल स्कूल जाने से कुछ नहीं होता है, अगर आप कंपटीशन नहीं कर सकते तो ऐसी पढ़ाई करने से कोई फायदा नहीं है। उसी तरह से स्वास्थ्य के क्षेत्र में चुनौतियां हैं, हम अस्पताल के लिए बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बना दें, उससे कुछ नहीं होने वाला, वहां अच्छे डाक्टर होने चाहिए। तभी वह अच्छा अस्पताल माना जाएगा।
बिल्डिंग और इक्यूपमेंट से ही कोई अस्पताल अच्छा नहीं होता। हमारे जो छोटे-छोटे गांव या छोटे छोटे शहर हैं, वहां बड़े-बड़े अस्पताल बनाकर काम नहीं चलेगा। हमें एंबुलैंस और एयर एंबुलैंस की आवश्यकता होगी। उसके लिए हम देहरादून, श्रीनगर, अल्मोड़ा, रानीखेत, पिथौरागढ़ का चुनाव कर सकते हैं। मगर बाकी जगह छोटी डिस्पेंसरी और कैजुअलटी एव्यूक्यूएशन होना जरूरी है। दूसरे हमारे जो लोग रिटायर होते हैं, उनमें बहुत योग्यता है।
हर आदमी आगे कुछ न कुछ करना चाहता है मगर उसके लिए कुछ प्लेटफॉर्म चाहिए। अगर मूलभूत सुविधाएं मिल जाएं तो हर आदमी यहां आने को तैयार है। वह अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ करना चाहता है। यह सिर्फ मैं नहीं, हर कोई कहता है और करना चाहता है। सिर्फ उनको प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है। मैं उम्मीद करता हूं कि इस रैबार के माध्यम से हम सब लोगों में कुछ करने का जज्बा पैदा होगा और हमारा उत्तराखंड प्रशासन कुछ इस तरह से करेगा, ताकि हम सभी यहां आकर अपनी जन्मभूमि की सेवा में कुछ योगदान दे सकें।












